हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार निम्नलिखित रिवायत "आमाली सदूक़" पुस्तक से ली गई है। इस रिवायत का पाठ इस प्रकार हैः
پیامبر اکرم(صلی الله علیه و آله و سلم) :
لِلجنّةِ بابٌ یُقالُ له: بابُ «المجاهِدینَ» ، یَمْضونَ إلَیهِ فإذا هُو مَفْتوحٌ ، وَ هُم مُتَقَلِّدونَ سُیُوفَهُم،و الجَمْعُ فی المَوْقِفِ،و المَلائکةُ تُرحِّبُ بِهِم.
पैग़म्बर (स) ने फ़रमायाः
बहिश्त में एक दरवाज़ा है जिसे "मुजाहिदीन का द्वार" कहा जाता है। मुजाहेदीन अपने हथियारों के साथ इस द्वार की ओर बढ़ते हैं जो उनके लिए खुला है, और महशर मे फ़रिश्ते और मख़लूक़ उनका स्वागत करते हैं।
आमाली सदूक़: 673/906
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